अटल विश्वास
पात्र परिचय:
आदित्य शर्मा — मेहनती, ईमानदार और उच्च शिक्षा के लिए संघर्षरत युवक।
मोहिनी वर्मा — आदित्य की बचपन की दोस्त, प्रेरणादायक और हमेशा सहायक।
राकेश शर्मा — आदित्य के पिता, एक गरीब किसान।
सुरेश वर्मा — मोहिनी के पिता, गाँव के स्कूल शिक्षक।
Chapter 1: सपनों की शुरुआत
गाँव की संकरी गलियों में सुबह का उजाला धीरे-धीरे फैल रहा था। आदित्य शर्मा, एक छोटे से घर का बेटा, खेत में काम कर रहे अपने पिता राकेश के पास बैठा था। पिता की आँखों में थकान थी, लेकिन हिम्मत और उम्मीद भी।
आदित्य ने मन ही मन सोचा, "मैं इस गांव की सीमाओं से बाहर जाकर कुछ बड़ा कर दिखाऊंगा।"
उस दिन उसने ठाना कि पढ़ाई को कभी भी छोड़ना नहीं है। वह जानता था कि कठिनाइयाँ बहुत हैं, लेकिन उसके हौसले इससे कहीं ज़्यादा मजबूत थे।
Chapter 2: नया सफर
कुछ महीने बाद, आदित्य ने अपने पिता से विनम्रतापूर्वक कहा,
"पिताजी, मैं शहर जाकर पढ़ाई करना चाहता हूँ। मुझे अच्छी शिक्षा चाहिए ताकि मैं परिवार की तकलीफें दूर कर सकूं।"
राकेश ने गहरी सांस ली,
"बेटा, मैं तुम्हारे सपनों को समझता हूँ। हम कुछ भी करेंगे तुम्हारे लिए।"
मोहिनी और उसके पिता सुरेश ने भी मदद का भरोसा दिया। आदित्य का मन प्रफुल्लित हो उठा।
Chapter 3: संघर्ष की राह
शहर पहुंचकर आदित्य को पता चला कि वहां पढ़ाई के लिए पैसे की बहुत ज़रूरत है। कई बार उसने खाली जेब लेकर भूखा सोना पड़ा। लेकिन उसने हार नहीं मानी।
मोहिनी भी दूर से उसका हौसला बढ़ाती रही। "तुम कर सकते हो, आदित्य," वह कहती।
आदित्य ने कई पार्ट टाइम जॉब्स की, पढ़ाई के साथ-साथ काम भी किया। उसकी मेहनत रंग लाई। वह अपनी कक्षा में टॉप करने लगा।
Chapter 4: सफलता की ओर
समय के साथ आदित्य की मेहनत और लगन ने उसे एक बड़ी कंपनी में नौकरी दिलाई। अब वह अपने परिवार का सहारा बन गया था।
गांव लौटकर उसने वहां के बच्चों के लिए एक स्कूल खुलवाया ताकि वे भी सपने देख सकें और उन्हें पूरा कर सकें।
Chapter 5: नया जीवन, नई उम्मीदें
आदित्य की कहानी से पूरे गांव को प्रेरणा मिली। हर बच्चा उसके जैसे सपनों को सच करने की कोशिश करने लगा।
आदित्य और मोहिनी दोनों ने मिलकर यह साबित कर दिया कि अटल विश्वास और कड़ी मेहनत से कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है।